आरोप
सावरकर ने शिवाजी महाराज का अपमान किया और बलात्कार का समर्थन किया।
वस्तुस्थिति
स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने शिवाजी महाराज का अपमान किया और बलात्कार का समर्थन किया ये आरोप अत्यंत मूर्खतापूर्ण है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने शिवाजी महाराज को अपना देवता माना था। शिवाजी महाराज की पहली आरती उन्होंने ही लिखी थी। कल्याण के जिस सुबेदार की बहू के प्रकरण पर सावरकर पर टिप्पणी की जाती है, वो मूलत: एक दंतकथा है। सावरकर का प्रश्न है कि, हमने महिलाओं का हमेशा सम्मान किया है, लेकिन ऐसी दंतकथा रचकर हम शत्रू को हमारी पत्नियों आप अत्याचार करो मगर तुम्हारी पत्नियां हमेशा सुरक्षित रहेंगी ऐसा खुला आश्वासन क्यों दें? स्वत: शिवाजी महाराज की चाची को नासिक के गोदावरी नदी से मुस्लिम भगाकर ले गए थे।
‘सद्गुण विकृति’ नामक लेख के पहले प्रकरण में हिंदू महिलाओं पर होनेवाले मुसलमानी अत्याचार की विस्तृत चर्चा करते हुए टीपू सुल्तान की पराजय करने के बाद हजारों पीड़ित हिंदू महिलाओं को मुक्त कराने की दिशा में मराठा सैनिकों द्वारा उपेक्षा किये जाने पर सावरकर ने टिप्पणी की है।
हिंदूओं की महिलाओं को भगाकर ले जाना, उनका धोखे से धर्मांतरण करनाइसमें मुस्लिम महिलाएं हमेशा आगे थीं, इसके कई उदाहरण देकर वे पूछते हैं कि, ऐसी दोषी महिलाओं को सजा होनी चाहिए कि नहीं? महिलाओं के सभी अपराध माफ करने की कुरीति का विरोध करते हुए उन्होंने रामायण की शूर्पणखा और त्राटिका का उदाहरण दिया है। इसका अर्थ सावरकर ने बलात्कार का समर्थन किया ऐसा नहीं होता। क्या इनका अब ऐसा कहना है कि शूर्पणखा और त्राटिका से बलात्कार हुआ था?
उन्होंने कई स्थानों पर कहा है की बलात्कार की शिकार हुई स्त्री कभी भी भ्रष्ट या पतित नहीं होती, उसे ना स्वीकारने वाले उसके कुंटुंबजन ही सही अर्थों में पतित हैं ।इससे स्त्रियों को लेकर उनका दृष्टकोण स्पष्ट होता है।
“बलात्कार की स्थिति में महिलाएं प्रतिकार न करते हुए दांतों से जीभ काटकर और सांस रोककर आत्महत्या कर लें” ऐसी विकृत सलाह देनेवाले तथा अपनी ‘हिंद स्वराज’पुस्तक में कई स्थानों पर स्त्रियों के लिए बांझ और वेश्या ऐसे अपशब्द का उपयोग करनेवाले गाँधी महात्मा कैसे बन जाते हैंइस का उत्तर क्या सावरकर को नाहक बदनाम करनेवाले तथाकथित बुद्धिजीवी दे सकते हैं?
सावरकर के हजारों पन्नों के साहित्य में से कोई एक संदर्भहीन वाक्य ढूंढकर उन पर टिप्पणी करनेवाले, नेहरू द्वारा किया गया शिवराया का अपमान कैसे भूल जाते हैं? नेहरू अपनी किताब “Glimpses of World History” में लिखते हैं,“बीजापुर के सरदार (अफजल खान) की धोखे से की गई हत्या आदि के शिवाजी के कृत्यों के कारण हमारी दृष्टि से उनकी कीमत कम हो जाती है।”
नेहरू का ये ठीक है, पहले से ही अध्ययन कम और जितना अध्ययन किया उसकी समझ उससे भी कम! जिस पापी अफजल खान की हत्या के शिवाजी महाराज को धोखेबाज कहने वाले नेहरु यह भूल जाते है की उसी अफजल खान ने शिवराया पर आक्रमण के पहले अपने जनानखाने में बंद सैकड़ों महिलाओं की हत्या की थी! निर्दयी अफजल खान को मारना मानवाधिकारों का हनन! और जनानखाने में बलात्कार करने के पश्चात बंदी बनाई गई सैकड़ों महिलाओं की निर्दयता से हत्या मानवता?और ऐसे जघन्य अपराध को अनदेखा करनेवाली स्वयं को पंडित कहलाती है! अब इनके वंशज विदेशी रोहिंग्या मुसलमानों के लिए गला फाड़कर रोते हैं, लेकिन सन १९९० में स्वदेशी कश्मिरी हिंदुओं की हत्या के बारे में, उनकी महिलाओं के सामूहिक बलात्कार के बारे में, ५ लाख से ज्यादा निर्वासित कश्मिरी हिंदुओं के बारे में क्यों मौन धारण कर लेते हैं ये पता चला!
हजारो हिंदुओं की हत्या करनेवाले और सैंकड़ों राजपूत कन्याओं को अपने जनानखानों में बंदी बनानेवाले अकबर को द ग्रेट मानकर, जिसके कारण आज हिंदू जीवित हैं ऐसे छत्रपति शिवाजी महाराज को दगाबाज कहनेवाले नेहरू को देवता मानने वाले विकृत लोग ही सावरकर पर आरोप कर सकते है!